स्टेयर्स ट्रेडिंग रणनीति 

प्रवेश बिंदु चुनते समय प्रत्येक ट्रेडर को संदेह रहता है। यह लेख स्टोकेस्टिक इंडिकेटर यानी संकेतक को लागू करते समय स्टेयर्स ट्रेडिंग रणनीति में उपयोग किए जाने वाले छह चरणों को दिखाता है। हम यहाँ कुछ महत्वपूर्ण लाभों और सीमाओं को भी शामिल करेंगे।

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स्टेयर्स ट्रेडिंग रणनीति क्या है?

स्टेयर्स ट्रेडिंग रणनीति एक तकनीकी विश्लेषण रणनीति है जो बाजार में समर्थन और प्रतिरोध स्तरों की पहचान की सुविधा प्रदान करती है। यह कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने के लिए विश्लेषण करती है। ट्रेडर एक अच्छा प्रवेश बिंदु चाहता है, और स्टेयर्स रणनीति बाजार मूल्य के बदलाव के पैटर्न का अध्ययन करके इसे खोजने में मदद करती है। आखिरकार, लक्ष्य समय पर ट्रेड में प्रवेश करने का निर्णय लेकर लाभ प्राप्त करना है।

वित्तीय बाजार में कीमतें हमेशा बदलती रहती हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम ट्रेड छोटी अवधि या लंबी अवधि में करते हैं। कीमतें हमेशा अस्थायी पुलबैक या समेकन के साथ प्रचलित रुझानों की दिशा की ओर जाती हैं। यह घटना सीढ़ियों जैसी संरचना के निर्माण को दर्शाती है।

सीढ़ियों की ओर जाती कीमतों के उतार-चढ़ाव पर स्टेयर्स रणनीति तैयार की गई है। इस पैटर्न का प्रत्येक चरण समर्थन और प्रतिरोध के एक स्तर को दर्शाता है। इस प्रकार, इन स्तरों की सही पहचान के साथ, स्टेयर्स रणनीति आपको ट्रेड में सही प्रवेश बिंदु को जानकर लाभ प्राप्त करने में सक्षम बनाती है।

हालाँकि, आप इस रणनीति का उपयोग केवल तभी कर सकते हैं जब आप इसे समझकर स्टोकेस्टिक इंडिकेटर (संकेतक) पर लागू करें। आइए देखें कि वह क्या है।

स्टोकेस्टिक संकेतक के उपयोग का महत्व

पोजीशन ट्रेडिंग क्या है और यह कैसे काम करती है?

स्टोकेस्टिक संकेतक 50 वर्ष पुराना है; जॉर्ज लेन ने इसे विकसित किया था। इस समय, आप सोच सकते हैं कि यह एक पुराना संकेतक है, लेकिन ऐसा केवल तब तक ही है जब तक आप इस लेख को विस्तार से पढ़ नहीं लेते। यह अभी भी ट्रेडर्स के बीच अपना महत्व रखता है क्योंकि यह ट्रेड करने का एक स्थिर प्रवेश संकेत प्रदान करता है।

स्टोकेस्टिक संकेतक वर्तमान रुझान को मापता है और इसलिए इसे गति संकेतक माना जाता है। यह इस बात पर प्रकाश डालता है कि क्या मौजूदा रुझान कमजोर है या मजबूत है, और एक रुझान के भीतर क्या अधिक खरीद यानी ओवरबॉट की स्थिति है या अधिक बिक्री यानी ओवरसोल्ड की।

स्टोकेस्टिक इंडिकेटर (संकेतक) का उपयोग कैसे करें?

यदि आप स्टोकेस्टिक इंडिकेटर के माध्यम से ट्रेडिंग निर्णय लेना चाहते हैं तो आपको नीचे दी गई प्रक्रिया की जाँच करनी चाहिए।

यह संकेतक उपयोग करने में सीधा है। यदि चलती औसत अधिक है, आम तौर पर 80 लाइनें या उससे ऊपर, तो यह अधिक खरीद यानी ओवरबॉट की स्थिति है। यदि चलती औसत कम है, मान लीजिए 20 लाइनों से नीचे, तो यह ओवरसोल्ड यानी अधिक बिक्री की स्थिति को दर्शाता है।

नीचे दिए गए चित्र से आपको इसे समझने में आसानी होगी।

स्टोकेस्टिक इंडिकेटर के लिए डिफ़ॉल्ट सेटिंग्स 14, 3 और 1 हैं। यदि आप एक छोटी अवधि (शॉर्ट-टर्म) का ट्रेड खोलना चाहते हैं और मूल्य में होने वाले मामूली बदलावों के बारे में जानना चाहते हैं तो आपको डिफ़ॉल्ट सेटिंग्स को बदलना होगा। इस मामले में, आप धीमी गति से चलने वाली औसत के लिए स्टोकेस्टिक इंडिकेटर की डिफ़ॉल्ट सेटिंग को 5 बार तक नीचे ला सकते हैं। साथ ही, तेजी से चलने वाली औसत को 3 पर छोड़ा जाना चाहिए।

यह सेटिंग छोटी अवधि में बाजार में होने वाले मूल्य के बदलावों के प्रति संकेतक को अधिक संवेदनशील बना देगी। इस प्रकार यह लघु अवधि के व्यापार के लिए एक प्रभावी संकेतक बन जाता है।

अब इस लेख की मुख्य बात की जाँच करने का समय है — ट्रेडिंग प्रॉफिट के छह चरण।

स्टेयर्स रणनीति का ट्रेड करने के छह चरण

किसी ट्रेड में प्रवेश करना है या नहीं, यह तय करने के लिए निम्नलिखित छह चरण आपके साधन होंगे:

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  1. पहला कदम मजबूत तेजी वाले बाजार की पहचान करना है।
  2. स्टोकेस्टिक इंडिकेटर का उपयोग करें और इसके एक डबल बॉटम पैटर्न यानी दो तल वाला पैटर्न बनाने की प्रतीक्षा करें। दूसरा तल पहले वाले से ऊँचा होना चाहिए।
  3. ओवरबॉट रहने के लिए, स्टोकेस्टिक स्विंग के दोनों निचले स्तर 20 से नीचे रहने चाहिए।
  4. बाजार मूल्य और स्टोकेस्टिक संकेतक के बीच विचलन के विकास की प्रतीक्षा करें।
  5. दूसरे तल का स्टोकेस्टिक क्रॉसओवर विकसित होने के बाद ट्रेड में प्रवेश करें।
  6. जोखिम को कम से कम रखने के लिए स्टॉप लॉस को पिछले स्विंग लो के नीचे रखें। जैसे-जैसे धीमी गति से चलने वाली स्टोकेस्टिक औसत 80 के स्तर से ऊपर ओवरबॉट की स्थिति में प्रवेश करती है, अपना लाभ प्राप्त करें।

इस तरह आप इस तकनीक का उपयोग करके, संकेतों को देख सकते हैं और समय पर ट्रेड में प्रवेश कर सकते हैं।

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स्टेयर्स रणनीति के लाभ

प्रभावी निर्णय लेना इसका केवल एक ही फायदा है; आइए देखते हैं कुछ और फायदे:

  • यह रणनीति समर्थन और प्रतिरोध के महत्वपूर्ण स्तरों का पता लगाने की क्षमता प्रदान करती है।
  • इससे कीमतों में उतार-चढ़ाव के दौरान पैटर्न की पहचान करना आसान हो जाता है।
  • इसके द्वारा दी जाने वाली चरण-दर-चरण तकनीक एक समेकित और सावधान दृष्टिकोण को सक्षम बनाती है।
  • यह विभिन्न बाजारों के अनुकूल होने की क्षमता प्रदान करता है।

इस प्रकार, ट्रेड करते समय इस रणनीति को लागू करके, आप ट्रेड में प्रवेश करने के लिए सही संकेत देख सकते हैं।

स्टेयर्स रणनीति से जुड़े जोखिम

स्टेयर्स रणनीति के साथ ट्रेड करते समय कुछ संबंधित जोखिमों से अवगत होना चाहिए:

  • बाजार आर्थिक गतिविधि, समाचार आदि जैसे कारकों पर निर्भर करता है। इस प्रकार, उन्हें योजनाओं में अनदेखा करने से ट्रेडिंग में गलत निर्णय लिए जा सकते हैं।
  • अधिक ख़रीदने से सावधान रहें। एक गलत निर्णय और समयबद्धता से हानि हो सकती है। सभी ट्रेडरों को सावधानी से निर्णय लेने चाहिए।
  • केवल स्क्रीन इमेज के आधार पर तेज और तर्कहीन चाल चलने की संभावना से नुकसान हो सकता है। आपके ट्रेडिंग निर्णय विभिन्न संकेतकों और संकेतों की संयुक्त पुष्टि पर आधारित होने चाहिए।
  • याद रखें कि ट्रेडिंग में भावनाएँ बिल्कुल भी मददगार नहीं होती हैं और ज्यादातर मामलों में नुकसान का कारण बनती हैं।

ट्रेड में निवेश किए गए फंड्स को खोने से बचाने के लिए स्टेयर्स रणनीति के साथ ट्रेड करते समय इन जोखिमों पर विचार करें।

निष्कर्ष 

4 प्राइस एक्शन रिट्रेसमेंट एंट्री टाइप जो प्रत्येक ट्रेडर को जानना आवश्यक है

ट्रेडिंग से संबंधित सभी गतिविधियों के लिए ट्रेड में प्रवेश और निकास का समय सबसे महत्वपूर्ण निर्णय माना जाता है। स्टेयर्स रणनीति, जब स्टोकेस्टिक संकेतक पर लागू होती है, तो उपयोगी निर्णय लेने में मदद करती है। यह चरण-दर-चरण तकनीक सभी बाजारों में ट्रेडरों की सहायता करती है। ऊपर दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए स्टेयर्स रणनीति का उपयोग करने से प्रभावी निर्णय लेने में मदद मिलती है। लेकिन याद रखें, ट्रेडिंग करना हमेशा जोखिम भरा होता है और तकनीकों का सावधानीपूर्वक उपयोग नुकसान की संभावनाओं को कम करने में मदद कर सकता है।

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